24 अक्टू॰ 2016

भोले बच्चो की खुशियां .............

राम दफ्तर से घर लौटा ही था कि पत्नी ने कहा, घर का राशन खत्म हो गया है। दफ्तर के काम-काज की थकान के बाद राम का बाजार जाने का बिलकुल भी मन नही था, पर जाना जरुरी था। राम ने गाड़ी निकाली और मार्केट की तरफ बढ़ा। थोड़ा आगे बढ़ते ही जाम दिखने लगा। त्योहारों के दिन थे और अगले ही दिन दिवाली का दिन (जो की एक बहुत बड़ा त्यौहार है) था।  ऐसा लग रहा था कि पूरा गांव- शहर मार्किट पर टूट पड़ा हो। राम ने किसी तरह गाड़ी पार्किंग में लगायी और एक मॉल में सुपरमार्केट में भीड़ से बचते-बचाते किसी तरह अपना सामान ट्रॉली में रखा और बिल की लाइन में खड़ा हो गया।  बिल की लाइन बहुत लम्बी थी।  लाइन में ठीक आगे दो बच्चे थे। लगभग नौ साल का एक लड़का और शायद छह साल की एक लड़की थी।  लड़के ने अपने से बड़े साइज के पुराने से कपड़े पहने थे।  पैंट की जेब फ़टी हुई थी और पैरों में घिसी चप्पलें थीं।  लड़की  के बाल चिड़िया के  घोंसले की तरह बिखरे थे और लड़के की तरह उसके कपड़े भी उम्र के हिसाब से बड़े थे लड़की के हाथ में सुनहरे रंग की चप्पल थी, जिसे उसने कसकर अपने सीने से लगा रखा था। उसके चेहरे पर बेशुमार ख़ुशी झलक रही थी और वह उछल रही थी। लड़का उतना ही शांत था था। देखते ही देखते उनके बिल का नंम्बर आ गया। लड़की ने चप्पल काउंटर पर बैठी महिला को दे दी। महिला ने उसे स्कैन किया और बोली, और कुछ? लड़के ने पूछा, कितना हुआ? महिला बोली, नौ सौ बीस रुपये। लड़के का चेहरा का चेहरा उतर गया। उसने अपनी बहन से बड़ी बहादुरी से कहा, अनू, चल घर चलें। हम इसकी जगह बाद में कुछ और ले लेंगें।  हमारे पास सिर्फ पांच सौ रुपये हैं। अनु बोली, लेकिन भैया, भगवान को यह चप्पल बहुत पसंद आएगी। भाई बोला, चल पगली। भगवान सिर्फ मन देखते हैं, चप्पल नही। राम पीछे खड़ा सब सुन रहा था। वह दिवाली ज्यादा धूमधाम से कभी नही बनाता था। आज तक दिवाली पर उसने किसी को कोई तोहफा नही दिया। पर उन बच्चो को देखकर उसे बहुत अच्छा लगा। उसने पांच सौ रुपये का नोट निकाला और और धीरे से काउंटर पर रख दिया। यह देखकर लड़की खिलखिला उठी और राम से बोली, थैंक यू अंकल। राम ने लड़के से पूछा, अनु कह रही थी कि यह चप्पल भगवान को बहुत पसंद आएगी? ऐसा क्या है इस चप्पल में ? लड़का बोला, हमारी मां अस्पताल में हैं। उन्हें कैंसर है और अब वह भगवान जी के पास जाने वाली हैं। पापा कहते है, "स्वर्ग में सारी जमीन सोने की होती है। मां की चप्पल टूट गई है। इसीलिए अनु चाहती थी कि मां भगवान से मिलने सुनहरी चप्पल पहनकर जाए।

           जीवन के मायने समझने हो, 
                    तो आंसुओ को ख़ुशी में बदलो।  

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