गुरु पूर्णिमा पर्व भारतीय पर्व
हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा करने की परम्परा है। गुरु पूर्णिमा एक प्रसिद्ध भारतीय पर्व है। इस दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरुओं का सम्मान किया जाता है। यगु का अर्थ - अंधकार एवम रू का अर्थ - प्रकाश, गुरु हमे अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञानरूपी प्रकाश के मार्ग पर ले जाते है गुरु ही है जो शिष्य के जीवन को ज्ञान के प्रकाश से भर देते है। गुरु के बिना जीवन बहुत कठिन है। हम अपने गुरु की तलाश में इधर उधर भटकते है जबकि हमारे सर्वप्रथम गुरु हमारे माता -पिता हैं माता-पिता की सेवा से ही सब सुख प्राप्त होते हैं। गुरु संत कबीरदास जी के दोहे :-
ह पर्व आत्मस्वरूप का ज्ञान पाने के अपने कर्तव्य की याद दिलाने वाला और गुरु के प्रति अपनी आस्था का दिन है। प्राचीन काल में गुरु शिष्य परम्परा के अनुसार शिष्य शिक्ष। ग्रहण की जाती थी। इस दिन शिष्यगण अपने गुरु की शरण में गुरु की सेवा कर ज्ञान ग्रहण करते है इस दिन शिष्य गुरु को अपनी इच्छा के अनुसार गुरुदक्षणा देते हैं। गुरु का हमारे जीवन में बहुत महत्व है।
१. गुरु गोबिंद दौऊ खड़े, का के लागू पाय। बलिहारी गुरु आपणे, गोबिंद दियो मिलाय।
२. शब्द गुरु का शब्द है, काया का गुरु काय। भक्ति करै नित् शब्द की, सतगुरु यों समझाय।
३. सतगुरु की महिमा अनन्त, अनन्त किया उपकार। लोचन अनन्त उघाडिया, अनन्त दिखावनहार।
४. जो गुरु ते भ्रम न मिटे, भ्रान्ति न जिसका जाए। सो गुरु झूठा जानिए, त्यागत देर न लगायें।
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