शिव चतुर्दशी का महत्व
शिव चतुर्दशी तिथि (shiv chaturdashi tithi) के दिन भगवान शिव (Bhagwan shiv) की पूजा तथा व्रत किया जाता है. इस दिन व्रत रखने के साथ शिव जी पूजन करना चाहिये तथा "ॐ नम: शिवाय" मंञ का पाठ करना चाहिये, कहते हैं कि शिव चतुर्दशी के दिन रात्रि जागरण करने सेे अश्वमेघ यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है -
पूजा का आरम्भ भोलेनाथ के अभिषेक के साथ होता है. इस अभिषेक में जल, दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, शक्कर या चीनी, गंगाजल तथा गन्ने के रसे यानि पंचामृत आदि से स्नान कराया जाता है. अभिषेक कराने के बाद बेलपत्र, धतूरा तथा श्रीफल से भोले नाथ को भोग लगाया जाता है. शिव चतुर्दशी के दिन पूरा दिन निराहार रहकर व्रत किया जाता है कहते है शिव चतुर्दशी का व्रत जो भी व्यक्ति पूरे श्रद्धाभाव से करता है उसके माता- पिता के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा उसके स्वयं के सारे कष्ट दूर हो जाते है तथा वह जीवन के सम्पूर्ण सुखों का भोग करता है।
शिव चतुर्दशी तिथि (shiv chaturdashi tithi) के दिन भगवान शिव (Bhagwan shiv) की पूजा तथा व्रत किया जाता है. इस दिन व्रत रखने के साथ शिव जी पूजन करना चाहिये तथा "ॐ नम: शिवाय" मंञ का पाठ करना चाहिये, कहते हैं कि शिव चतुर्दशी के दिन रात्रि जागरण करने सेे अश्वमेघ यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है -
पूजा का आरम्भ भोलेनाथ के अभिषेक के साथ होता है. इस अभिषेक में जल, दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, शक्कर या चीनी, गंगाजल तथा गन्ने के रसे यानि पंचामृत आदि से स्नान कराया जाता है. अभिषेक कराने के बाद बेलपत्र, धतूरा तथा श्रीफल से भोले नाथ को भोग लगाया जाता है. शिव चतुर्दशी के दिन पूरा दिन निराहार रहकर व्रत किया जाता है कहते है शिव चतुर्दशी का व्रत जो भी व्यक्ति पूरे श्रद्धाभाव से करता है उसके माता- पिता के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा उसके स्वयं के सारे कष्ट दूर हो जाते है तथा वह जीवन के सम्पूर्ण सुखों का भोग करता है।