एक तोता था। जो एक दिन अचानक खुद पर ही नाराज हो गया। उसकी मां ने पूछा, तो उसने जवाब दिया , मुझे अपनी यह चोंच पसंद नहीं। इस वजह से मैं बुदु दिखता हूं। मां ने पूछा, तुम्हे अपनी चोंच पसंद क्यों नहीं है? लाल रंग की चोंच तो बहुत सुंदर है। तोता बोला, सारस, हंस, गोरैया, बत्तख इन सबके आगे मेरी चोंच कितनी बेढंगी लगती है! तोते की मां ने एक छण सोचा, फिर कहा, बेटा ऐसी कौन सी वजह है, जिस कारण तुम अपनी चोंच से छुटकारा पाना चाहते हो? मुझे तो तुम्हारी चोंच एकदम ठीक दिखती है। तोता बोला, खाक ठीक दिखती है। हंस, बतख, बाज- सबकी चोंच कितनी खूबसूरत है। वे सब मुझ पर हँसते हैं। बस, बहुत हुआ, अब मुझे अपनी चोंच से छुटकारा पाना है। मां बोली, ओह! अब मैं समझी। चलो देखते हैं कि तुम पर कौन-सी चोंच अच्छी लगती है। क्या तुम चूहे या खरगोश या दूसरे छोटे जानवर खाना पसंद करते हो? तोता बोला, आप कैसी बात कर रही है? मैं यह सब कैसे खा सकता हूँ।
मां बोली, तो फिर तुम्हे मछलियां पसंद होंगी। या फिर पानी में तैरने वाले छोटे कीड़े?
तोता बोला, भला मैं यह सब क्यों खाऊंगा। यह सब तो मैं सपने में भी खाने की नही सोच सकता। मां बोली, तुम्हे मिर्च, बादाम, टमाटर अथवा दूसरे कोई फल या सब्जी तो एकदम पसंद नही होगी न? तोता बोला, आप तो जानती हैं कि हम तोतो को यही पसंद है। और मूंगफली तो मुझे सबसे स्वादिस्ट लगती है।
मां बोली, बेटा, हम सभी के कुछ खास गुण, कुछ खास हुनर, खानपान और रहन -सहन होते हैं। जैसे की बाज की चोंच मजबूत होती है, जिससे वह छोटे जानवरो का शिकार करता है। बतख के पंजे तैरने वाले होते है। हंस की लंबी टंगे और लंबी चोंच डुबोकर मछलियों व पानी के कीड़े- मकोड़ों को पकड़ सके। और हम तोतो की चोंच ऐसी है, ताकि हम मूंगफली, बादाम आदि इससे तोड़ सकें। सच तो यह है कि टीम बहुत खूबसूरत हो, और बहुत खास भी। दूसरों से बराबरी करने में तुम सिर्फ अपना समय व्यर्थ करोगे। तोता सन्तुष्ट होकर चला गया।
जरुरी है कि हम खुद को पहचाने और उसके अनुरूप काम करें।
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