यह कहानी सूरज की है जो गांव में गेहूं को पीसकर आटा बाजार में बेचने जाया करता था एक दिन सूरज अपने गधे के साथ जंगल पार कर रहा था। उसने गधे की पीठ पर चार बोरी आटा लाद रखा था, जिसे वह पास के बाजार में बेचने के लिए ले जा रहा था। गर्मियों का मौसम था और सूरज कई घंटों से लगातार चल रहा था। उसने सोचा, कि क्यों न रूककर भोजन और आराम कर लिया जाए। यह सोचकर वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया। उसने गधे के सामने चारा डाला और खुद भोजन कर वही सो गया। जब सूरज की आंख खुली, तो उसने देखा कि उसका गधा गायब है। सूरज बहुत परेशान हो गया, परेशान सूरज अपने गधे को ढूंढने निकला, क्योंकि उसकी पीठ पर आटे के बोरे लदे थे। जंगल के बीच एक ही रास्ता था, जो गांव को शहर से जोड़ता था। सूरज ने रास्ते से आने जाने वाले सभी राहियों से पूछा , पर गधे का कुछ पता नही चला। तभी उस रास्ते से एक लड़का गुजरा। सूरज ने लड़के से पूछा, क्या तुमने रास्ते में कोई गधा देखा है? लड़का बोला, देखा तो नही, लेकिन क्या वह गधा अंधा है? सूरज बोला, हां। लड़के ने फिर पूछा, क्या वह बाएँ पैर से लड़खड़ाता हैं? सूरज बोला, हां। लड़के ने फिर पूछा क्या उसने आटे की बोरियां लाद रखी हैं? यह सुनते ही सूरज का पारा चढ़ गया। गरजते हुए वह बोला, ऐ लड़के, चुपचाप बता दो कि तुमने मेरे गधे को कहां देखा है। वरना गधा चुराने के जुर्म में अंदर करवा दूंगा। लड़का कहने लगा की उसने गधे को नही देखा, पर सूरज ने एक ना सुनी और उसे पंचो के सामने ले जाकर खडा कर दिया।
पंचो ने पूरा मामला समझा, फिर लड़के से पूछा, बताओ बेटा, हम कैसे मान ले कि तुमने गधे को नही देखा? तुम्हे तो गधे के बारे में सब कुछ पता है। लड़का बोला, मै जब उस रास्ते से जा रहा था, तो मैंने उस गधे के पैर के निशान देखे, लेकिन चौथे पैर का निशान हर जगह आधा ही था। मैं समझ गया, की वह गधा अपना चौथा पैर पूरी तरह जमीन पर नही रखता। यानी वह बाएँ पैर से लड़खड़ाता है। फिर मैंने गौर किया कि रास्ते की बाईं तरफ की घास तो थी, लेकिन दाई तरफ की नहीं थी यानी वह गधा बाईं आंख से अंधा भी था। और फिर मुझे कुछ जगहों पर आटा गिरा हुआ दिखा, जिससे मैं समझ गया कि गधा आटा ढो रहा था। जब सूरज ने मुझसे पूछा, तो मैंने अपनी सारी जिज्ञासाएं उसके सामने रख दी। पर मैंने गधे को नही देखा। लेकिन मैं पांव के निशानों से उसे ढूंढ जरूर सकता हूं। पंचो ने लड़के की तारीफ की और सूरज को लड़के की मदद से गधे को ढूंढने के लिए जंगल में भेज दिया।
कई बार हम अपने हितैषियों को दुश्मन मन बैठते हैं।
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