बनता है........!!!!!!!!
Best Hindi Blog for Hindi Quotes, Hindi Articles,Inspirational Hindi stories, and Personal Development, Poem,Proverb, Saying.
28 नव॰ 2016
ज्ञान
बनता है........!!!!!!!!
एक दर्जी का बेटा एक दिन अपने पिता की दुकान पर
पिता की दुकान पर चला गया
वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने
पिता को काम करते हुए देखने लगा...
उसने देखा कि उसके पिता कैंची से
कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर
के पास टांग से दबा कर रख देते हैं ..
फिर सुई से उसको सीते हैं और सीने के
बाद सुई को अपनी टोपी पर लगा लेते
हैं ।जब उसने इसी क्रिया को चार-
पाँच बार देखा तो उससे रहा नहीं गया,
तो उसने अपने पिता से कहा कि वह एक
बात उनसे पूछना चाहता है?
पिता ने कहा-
बेटा बोलो क्या पूछना चाहते हो ?
बेटा बोला- मैं बड़ी देर से
आपको देख रहा हूं , आप जब
भी कपड़ा काटते हैं, उसके बाद
कैंची को पैर के नीचे दबा देते हैं,
और सुई से कपड़ा सीने के बाद, उसे
टोपी पर लगा लेते हैं, ऐसा क्यों ?
इसका जो उत्तर पिता ने दिया- उन
दो पंक्तियों में मानों उसने
ज़िन्दगी का सार समझा दिया .. उत्तर
था- ” बेटा, कैंची काटने का काम
करती है, और सुई जोड़ने का काम
करती है, और काटने वाले की जगह
हमेशा नीची होती है परन्तु जोड़ने
वाले की जगह हमेशा ऊपर होती है
यही कारण है कि मैं सुई को टोपी पर
लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे
रखता हूं..
16 नव॰ 2016
सुविचार
✍�
बदला' लेने की नहीं 'बदलाव' लाने की सोच रखिये।
समझदार व्यक्ति "वह नहीं" जो "ईट का जवाब पत्थर से दे"।
समझदार व्यक्ति वो है जो फेंकी हुई ईंट से अपना 'आशियाना' बना ले।।
जहाँ प्रेम नहीं, वहाँ शान्ति नहीं हो सकती।
जहाँ पवित्रता नहीं, वहाँ प्रेम नहीं हो सकता।।
14 नव॰ 2016
गुरु पूर्णिमा पर्व भारतीय पर्व
गुरु पूर्णिमा पर्व भारतीय पर्व
9 नव॰ 2016
जो बीत गई सो बात गई ..............
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अम्बर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फिर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अम्बर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में वह था एक कुसुम
थे उसपर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुवन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुर्झाई कितनी वल्लरियाँ
जो मुर्झाई फिर कहाँ खिली
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आँगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठतें हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गई सो बात गई
मृदु मिटटी के हैं बने हुए
मधु घट फूटा ही करते हैं
लघु जीवन लेकर आए हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फिर भी मदिरालय के अन्दर
मधु के घट हैं मधु प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है
जो बीत गई सो बात गई।।
श्री हरिवंश राय बच्चन
8 नव॰ 2016
सूरज , गधा और चतुर बालक
यह कहानी सूरज की है जो गांव में गेहूं को पीसकर आटा बाजार में बेचने जाया करता था एक दिन सूरज अपने गधे के साथ जंगल पार कर रहा था। उसने गधे की पीठ पर चार बोरी आटा लाद रखा था, जिसे वह पास के बाजार में बेचने के लिए ले जा रहा था। गर्मियों का मौसम था और सूरज कई घंटों से लगातार चल रहा था। उसने सोचा, कि क्यों न रूककर भोजन और आराम कर लिया जाए। यह सोचकर वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया। उसने गधे के सामने चारा डाला और खुद भोजन कर वही सो गया। जब सूरज की आंख खुली, तो उसने देखा कि उसका गधा गायब है। सूरज बहुत परेशान हो गया, परेशान सूरज अपने गधे को ढूंढने निकला, क्योंकि उसकी पीठ पर आटे के बोरे लदे थे। जंगल के बीच एक ही रास्ता था, जो गांव को शहर से जोड़ता था। सूरज ने रास्ते से आने जाने वाले सभी राहियों से पूछा , पर गधे का कुछ पता नही चला। तभी उस रास्ते से एक लड़का गुजरा। सूरज ने लड़के से पूछा, क्या तुमने रास्ते में कोई गधा देखा है? लड़का बोला, देखा तो नही, लेकिन क्या वह गधा अंधा है? सूरज बोला, हां। लड़के ने फिर पूछा, क्या वह बाएँ पैर से लड़खड़ाता हैं? सूरज बोला, हां। लड़के ने फिर पूछा क्या उसने आटे की बोरियां लाद रखी हैं? यह सुनते ही सूरज का पारा चढ़ गया। गरजते हुए वह बोला, ऐ लड़के, चुपचाप बता दो कि तुमने मेरे गधे को कहां देखा है। वरना गधा चुराने के जुर्म में अंदर करवा दूंगा। लड़का कहने लगा की उसने गधे को नही देखा, पर सूरज ने एक ना सुनी और उसे पंचो के सामने ले जाकर खडा कर दिया।
पंचो ने पूरा मामला समझा, फिर लड़के से पूछा, बताओ बेटा, हम कैसे मान ले कि तुमने गधे को नही देखा? तुम्हे तो गधे के बारे में सब कुछ पता है। लड़का बोला, मै जब उस रास्ते से जा रहा था, तो मैंने उस गधे के पैर के निशान देखे, लेकिन चौथे पैर का निशान हर जगह आधा ही था। मैं समझ गया, की वह गधा अपना चौथा पैर पूरी तरह जमीन पर नही रखता। यानी वह बाएँ पैर से लड़खड़ाता है। फिर मैंने गौर किया कि रास्ते की बाईं तरफ की घास तो थी, लेकिन दाई तरफ की नहीं थी यानी वह गधा बाईं आंख से अंधा भी था। और फिर मुझे कुछ जगहों पर आटा गिरा हुआ दिखा, जिससे मैं समझ गया कि गधा आटा ढो रहा था। जब सूरज ने मुझसे पूछा, तो मैंने अपनी सारी जिज्ञासाएं उसके सामने रख दी। पर मैंने गधे को नही देखा। लेकिन मैं पांव के निशानों से उसे ढूंढ जरूर सकता हूं। पंचो ने लड़के की तारीफ की और सूरज को लड़के की मदद से गधे को ढूंढने के लिए जंगल में भेज दिया।
कई बार हम अपने हितैषियों को दुश्मन मन बैठते हैं।