शास्त्रों के अनुसार भगवान धनवंतरी देवताओं के वैद्य हैं। इनकी भक्ति और पूजा से आरोग्य सुख यानी स्वास्थ्य लाभ मिलता है। मान्यता है कि भगवान धनवंतरी विष्णु के अंशावतार हैं। संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था।
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28 अक्टू॰ 2016
शास्त्रों के अनुसार भगवान धनवंतरी देवताओं के वैद्य हैं। इनकी भक्ति और पूजा से आरोग्य सुख यानी स्वास्थ्य लाभ मिलता है। मान्यता है कि भगवान धनवंतरी विष्णु के अंशावतार हैं। संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था।
27 अक्टू॰ 2016
Very Beautiful Lines by Gulzar Sahab
चूने के कनिस्तर में थोड़ी नील मिलाते हैं
अलमारी खिसका खोयी चीज़ वापस पाते हैं
दोछत्ती का कबाड़ बेच कुछ पैसे कमाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....
चवन्नी -अठन्नी पटाखों के लिए बचाते हैं
सजी बाज़ार की रौनक देखने जाते हैं
सिर्फ दाम पूछने के लिए चीजों को उठाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....
कुछ में मास्टर बल्ब भी लगाते हैं
टेस्टर लिए पूरे इलेक्ट्रीशियन बन जाते हैं
दो-चार बिजली के झटके भी खाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....
मुर्गा ब्रांड हर पैकेट में खोजते जाते है
दो दिन तक उन्हें छत की धूप में सुखाते हैं
बार-बार बस गिनते जाते है
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....
छत के जंगले से कंडील लटकाते हैं
मिठाई के ऊपर लगे काजू-बादाम खाते हैं
प्रसाद की थाली पड़ोस में देने जाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....
खांड के खिलोने के साथ उसे जमके खाते है
अन्नकूट के लिए सब्जियों का ढेर लगाते है
भैया-दूज के दिन दीदी से आशीर्वाद पाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....
कुछ न फूटे पटाखों का बारूद जलाते हैं
घर की छत पे दगे हुए राकेट पाते हैं
बुझे दीयों को मुंडेर से हटाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....
वहीँ पुरानी रौनक फिर से लाते हैं
सामान से नहीं ,समय देकर सम्मान जताते हैं
उनके पुराने सुने किस्से फिर से सुनते जाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....
Happy Dipawli
24 अक्टू॰ 2016
भोले बच्चो की खुशियां .............
23 अक्टू॰ 2016
जीवन में खुशी का अर्थ
✍🏻“जीवन में खुशी का अर्थ लड़ाइयाँ लड़ना नहीं, बल्कि उन से बचना है ।
कुशलता पूर्वक पीछे हटना भी अपने आप में एक जीत है । क्योकि
"अभिमान" की ताकत फरिश्तो को भी "शैतान" बना देती है, और
"नम्रता" साधारण व्यक्ति को भी "फ़रिश्ता" बना देतीहै ।
हृदयाघात तथा गर्म पानी पीना
हृदयाघात तथा गर्म पानी पीना
यह भोजन के बाद गर्म पानी पीने के बारे में ही नहीं हृदयाघात के बारे में भी एक अच्छा लेख है। चीनी और जापानी अपने भोजन के बाद गर्म चाय पीते हैं, ठंडा पानी नहीं। अब हमें भी उनकी यह आदत अपना लेनी चाहिए। जो लोग भोजन के बाद ठंडा पानी पीना पसन्द करते हैं यह लेख उनके लिए ही है।
भोजन के साथ कोई ठंडा पेय या पानी पीना बहुत हानिकारक है क्योंकि ठंडा पानी आपके भोजन के तैलीय पदार्थों को जो आपने अभी अभी खाये हैं ठोस रूप में बदल देता है। इससे पाचन बहुत धीमा हो जाता है। जब यह अम्ल के साथ क्रिया करता है तो यह टूट जाता है और जल्दी ही यह ठोस भोजन से भी अधिक तेज़ी से आँतों द्वारा सोख लिया जाता है। यह आँतों में एकत्र हो जाता है। फिर जल्दी ही यह चरबी में बदल जाता है और कैंसर के पैदा होने का कारण बनता है।
इसलिए सबसे अच्छा यह है कि भोजन के बाद गर्म सूप या गुनगुना पानी पिया जाये। एक गिलास गुनगुना पानी सोने से ठीक पहले पीना चाहिए। इससे खून के थक्के नहीं बनेंगे और आप हृदयाघात से बचे रहेंगे।
विचार....
"कागजों को एक साथ जोडे रखने वाली पिन ही कागजों को चुभती है,
उसी प्रकार परिवार को भी वही व्यक्ति चुभता है, जो परिवार को जोड के रखता हो।''
दिन भर की थकान और जरुरी ज्ञान
एक राजा था। वह अपने राज्य के लोगो को खुश रखने की भरसक कोशिश करता , लेकिन हर बार उसे निराशा ही हाथ लगती थी। आखिरकार एक दिन राजा को पता चल गया कि लोग उसके राज्य में खुश नही हैं। राजा को यह सुनकर बहुत दुख हुआ। वह सोच में पड़ गया कि उसकी तमाम कोशिशों के बावजूद ऐसा क्या है कि लोग उसके राज्य में खुश नही हैं! तमाम प्रयासों के बावजूद वह अपने राज्य के लोगों को खुश नही कर पा रहा था। इसीलिए उसने तय किया कि वह पूरे राज्य का पैदल भ्रमण करेगा और राज्य के लोगो की परेशानियों को उनके पास जाकर समझने की कोशिश करेगा।
राजा के भ्रमण की तैयारियां पुरे राज्य में शुरू हो गई। पहला दिन था और राजा सुबह पांच बजे ही महल से निकल पड़ा। राजा को चलने की आदत तो थी नही, ऊपर से सड़के भी सिर्फ उसी इलाके में बनी थीं। जिस पर राजा रोज आता जाता था। इसीलिये राजा को पहली बार पथरीले, टूटे-फूटे रास्तो पर चलना पड रहा था। दिन भर तो राजा ने बहुत हिम्मत दिखाई, लेकिन शाम तक राजा की हिम्मत ने जवाब दे दिया। उसके पैर बुरी तरह दर्द करने लगे। जब राजा के लिये और आगे चलना मुश्किल हो गया, तो एक जगह डेरा डालने का फैसला किया।
राजा ने वही एक गांव में दरबार लगाया। सभी दरबारी बैठे थे। राज्य की बदतर सड़को की स्थति की बात होने लगी। राजा ने आदेश दिया की पुरे राज्य में चमड़े की सड़कें बनवा दी जाए। राजा को लगा, यह सुनकर राज्य के लोग बहुत खुश हो जायेंगे। लेकिन इससे भी कोई फायदा नही हुआ। इस फैसले से गांव के हर निवासी के चेहरे पर मायूसी छा गई। राजा ने एक ग्रामीण व्यक्ति से इस बारे में पूछा- क्यों भई, तुम अब खुश तो हो न? वह व्यक्ति शांत खड़ा रहा। राजा को यह देख कर बहुत गुस्सा आया। राजा ने सोचा, 'इन लोगो का दिमाग खराब हो गया हैं।। मैं इनकी भलाई के लिए इतना कर रहा हूं। फिर भी इनको कोई फर्क नहीं पड़ता।'
तभी उस ग्रामीण व्यक्ति ने कहा, 'हुकुम, आपने यह तो सोचा की पुरे राज्य में चमड़े की सड़के बनवा दी जाएं। लेकिन यह विचार नही किया कि चमड़े की सड़क बनवाने के लिये कितने जानवरो को मारना पड़ेगा। राज्य का कितना पैसा व्यर्थ हो जायेगा। पुरे राज्य में सड़के बनवाने के बजाय अगर आप खुद ही चमड़े के जूते बनवा के पहन लें, तो जानवरो को भी नही मारना पड़ेगा और जो पैसा बचेगा, वह राज्य के हित में खर्च किया जा सकेगा। राजा हैरान रह गया। उसकी समझ में आ गया कि वह कहां गलती कर रहा था।
लोगों की भलाई के लिए उनका दृष्टिकोण
समझना जरूरी है।
दिन भर की थकान और जरुरी ज्ञान
एक राजा था। वह अपने राज्य के लोगो को खुश रखने की भरसक कोशिश करता , लेकिन हर बार उसे निराशा ही हाथ लगती थी। आखिरकार एक दिन राजा को पता चल गया कि लोग उसके राज्य में खुश नही हैं। राजा को यह सुनकर बहुत दुख हुआ। वह सोच में पड़ गया कि उसकी तमाम कोशिशों के बावजूद ऐसा क्या है कि लोग उसके राज्य में खुश नही हैं! तमाम प्रयासों के बावजूद वह अपने राज्य के लोगों को खुश नही कर पा रहा था। इसीलिए उसने तय किया कि वह पूरे राज्य का पैदल भ्रमण करेगा और राज्य के लोगो की परेशानियों को उनके पास जाकर समझने की कोशिश करेगा।
राजा के भ्रमण की तैयारियां पुरे राज्य में शुरू हो गई। पहला दिन था और राजा सुबह पांच बजे ही महल से निकल पड़ा। राजा को चलने की आदत तो थी नही, ऊपर से सड़के भी सिर्फ उसी इलाके में बनी थीं। जिस पर राजा रोज आता जाता था। इसीलिये राजा को पहली बार पथरीले, टूटे-फूटे रास्तो पर चलना पड रहा था। दिन भर तो राजा ने बहुत हिम्मत दिखाई, लेकिन शाम तक राजा की हिम्मत ने जवाब दे दिया। उसके पैर बुरी तरह दर्द करने लगे। जब राजा के लिये और आगे चलना मुश्किल हो गया, तो एक जगह डेरा डालने का फैसला किया।
राजा ने वही एक गांव में दरबार लगाया। सभी दरबारी बैठे थे। राज्य की बदतर सड़को की स्थति की बात होने लगी। राजा ने आदेश दिया की पुरे राज्य में चमड़े की सड़कें बनवा दी जाए। राजा को लगा, यह सुनकर राज्य के लोग बहुत खुश हो जायेंगे। लेकिन इससे भी कोई फायदा नही हुआ। इस फैसले से गांव के हर निवासी के चेहरे पर मायूसी छा गई। राजा ने एक ग्रामीण व्यक्ति से इस बारे में पूछा- क्यों भई, तुम अब खुश तो हो न? वह व्यक्ति शांत खड़ा रहा। राजा को यह देख कर बहुत गुस्सा आया। राजा ने सोचा, 'इन लोगो का दिमाग खराब हो गया हैं।। मैं इनकी भलाई के लिए इतना कर रहा हूं। फिर भी इनको कोई फर्क नहीं पड़ता।'
तभी उस ग्रामीण व्यक्ति ने कहा, 'हुकुम, आपने यह तो सोचा की पुरे राज्य में चमड़े की सड़के बनवा दी जाएं। लेकिन यह विचार नही किया कि चमड़े की सड़क बनवाने के लिये कितने जानवरो को मारना पड़ेगा। राज्य का कितना पैसा व्यर्थ हो जायेगा। पुरे राज्य में सड़के बनवाने के बजाय अगर आप खुद ही चमड़े के जूते बनवा के पहन लें, तो जानवरो को भी नही मारना पड़ेगा और जो पैसा बचेगा, वह राज्य के हित में खर्च किया जा सकेगा। राजा हैरान रह गया। उसकी समझ में आ गया कि वह कहां गलती कर रहा था।
लोगों की भलाई के लिए उनका दृष्टिकोण
समझना जरूरी है।
19 अक्टू॰ 2016
अपनी चोंच से छुटकारा चाहने वाले तोते की कहानी।
एक तोता था। जो एक दिन अचानक खुद पर ही नाराज हो गया। उसकी मां ने पूछा, तो उसने जवाब दिया , मुझे अपनी यह चोंच पसंद नहीं। इस वजह से मैं बुदु दिखता हूं। मां ने पूछा, तुम्हे अपनी चोंच पसंद क्यों नहीं है? लाल रंग की चोंच तो बहुत सुंदर है। तोता बोला, सारस, हंस, गोरैया, बत्तख इन सबके आगे मेरी चोंच कितनी बेढंगी लगती है! तोते की मां ने एक छण सोचा, फिर कहा, बेटा ऐसी कौन सी वजह है, जिस कारण तुम अपनी चोंच से छुटकारा पाना चाहते हो? मुझे तो तुम्हारी चोंच एकदम ठीक दिखती है। तोता बोला, खाक ठीक दिखती है। हंस, बतख, बाज- सबकी चोंच कितनी खूबसूरत है। वे सब मुझ पर हँसते हैं। बस, बहुत हुआ, अब मुझे अपनी चोंच से छुटकारा पाना है। मां बोली, ओह! अब मैं समझी। चलो देखते हैं कि तुम पर कौन-सी चोंच अच्छी लगती है। क्या तुम चूहे या खरगोश या दूसरे छोटे जानवर खाना पसंद करते हो? तोता बोला, आप कैसी बात कर रही है? मैं यह सब कैसे खा सकता हूँ।
मां बोली, तो फिर तुम्हे मछलियां पसंद होंगी। या फिर पानी में तैरने वाले छोटे कीड़े?
तोता बोला, भला मैं यह सब क्यों खाऊंगा। यह सब तो मैं सपने में भी खाने की नही सोच सकता। मां बोली, तुम्हे मिर्च, बादाम, टमाटर अथवा दूसरे कोई फल या सब्जी तो एकदम पसंद नही होगी न? तोता बोला, आप तो जानती हैं कि हम तोतो को यही पसंद है। और मूंगफली तो मुझे सबसे स्वादिस्ट लगती है।
मां बोली, बेटा, हम सभी के कुछ खास गुण, कुछ खास हुनर, खानपान और रहन -सहन होते हैं। जैसे की बाज की चोंच मजबूत होती है, जिससे वह छोटे जानवरो का शिकार करता है। बतख के पंजे तैरने वाले होते है। हंस की लंबी टंगे और लंबी चोंच डुबोकर मछलियों व पानी के कीड़े- मकोड़ों को पकड़ सके। और हम तोतो की चोंच ऐसी है, ताकि हम मूंगफली, बादाम आदि इससे तोड़ सकें। सच तो यह है कि टीम बहुत खूबसूरत हो, और बहुत खास भी। दूसरों से बराबरी करने में तुम सिर्फ अपना समय व्यर्थ करोगे। तोता सन्तुष्ट होकर चला गया।
जरुरी है कि हम खुद को पहचाने और उसके अनुरूप काम करें।
15 अक्टू॰ 2016
एक तोते का किस्सा, जिससे जीवन की अहम सीख मिलती है।
14 अक्टू॰ 2016
जीवन.....
जीवन समस्या नही है कि समाधान ढूंढे, वास्तविकता है, जिसे अनुभव करना चाहिए।
. .... सोरेन किर्केगार्द
मेरी नजर में.......
जो कम से कम महीनों में एक बार खुद को मुर्ख कहता है।
इंसान को अपनी मुसीबतें......
13 अक्टू॰ 2016
छप्पर पर खोया ऊंट
उस व्यक्ति ने कहा, मैं तो आपका ही अनुकरण कर रहा हूं। बादशाह हैरान हुआ। वह बिस्तर पर लेटे- लेटे ही बोला, तुम जो कह रहे हो, वह मेरी समझ मे नही आ रहा। छत पर घूम रहे व्यक्ति ने कहा अगर आप सिंहासन पर बैठकर सोचते हैं कि सुख मिल जाएगा, अगर आप सोचते हैं कि धन मिलने से सुख मिल जायेगा, और अगर आप सही है, तो फिर मैं कौन-सी भूल कर रहा हूं? छप्पर पर खोया हुआ ऊंट भी मिल सकता हैं। राजा सोचने लगा, वह आदमी पागल नही मालूम होता। राजा भागकर बाहर आया और सिपाहियों से कहा, छत पर घूम रहे उस व्यक्ति को पकड़ो। सब दौड़े। लेकिन बहुत खोजने पर भी छप्पर पर वह आदमी नही मिला।